Friday, April 22, 2011

ये राजनीति है प्यारे.....!

ये राजनीति है प्यारे,
कर देती वारे-न्यारे,
ये राजनीति है प्यारे

कुर्सी की खींचातानी है ,
मतलब की एक कहानी है,
तू ना अपना, ना बेगाना,
बस वक़्त की मेहरबानी है,
तेरा मेरा धन यदि,
राजधन होता है,
तो तू है साथ मेरे,
वरना दूर हट जा रे,
ये राजनीति है प्यारे..

हाथ जोड़कर विनती करते,
अपने को सेवक ये कहते,
वोट दो राजा बन जाये,
वरना फिर झोली फैलायें,
हुक्का बियर बरंडी रम,
पीते हैं हो ख़ुशी या गम,
आज खड़े हैं हाथ जोडकर,
चुनाव हैं पड़े वोट के लाले,
ये राजनीति है प्यारे..

ढोंगी भगत राजनीति के,
राग अलापते हैं कुछ,
हाथी के दांतों के सामान,
होते कुछ हैं और दिखते कुछ,
ये सुखी, अंतर्मुखी,
हों दुखी, तो बहिर्मुखी,
करतूतें करते काले,
इनके उसूल निराले,
ये राजनीति है प्यारे..

जीते तो दूर जायेंगे,
हारे तो पास आयेंगे,
हार जीत के खेल में ये,
हमको उलझाते जायेंगे,
जोड़- तोड़ सिरों को फोड़,
मार-काट मचा उत्पात,
हैं जिन्दे चंडाल ये,
हैं इनके खेल निराले,
ये राजनीति है प्यारे..


गौरव पन्त
२३ अप्रैल, २०११  
 
     




1 comment:

  1. ये राजनीति है प्यारे.

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