Saturday, March 23, 2013

परिचय ...!

जब तक घर की दहलीज में था ,
किसी ने मेरा परिचय न पूछा था ,
महफ़िल-ए-दुनिया में जो इक बार आया मैं,
तो लॊग पूछते हैं , बता क्या है तेरा परिचय !!

मैं व्याकुल हूँ , कि मेरा जवाब क्या हो ,
क्योंकि परिचय तो मेरा बस बदलता ही रहा है ..!
विद्यालय में पहले तो , नाम मेरा परिचय था ,
छात्रवृत्ति मिलने पर , जाति परिचय बन गयी॥
धार्मिक कर्मकांडों में , धर्म मेरा परिचय बना ,
तो नौकरी  खोजने में ,आरक्षण परिचय बन गया॥
छेत्रवाद में , प्रदेश परिचय बना मेरा ,
सामाजिक व्यहार में , भाषा परिचय बन गयी ॥
विवाह के व्यापार में , डिग्री परिचय थी मेरी,
तो विवाह-वेदी में,वर्ण -कुल -गोत्र परिचय बने ॥
रंगीन महफिल-ए-दुनिया में ,अमीरी तो गरीबी परिचय थे,
विदेशों में नागरिकता परिचय बन गयी ॥
वक्त के साथ-साथ ,वही हाड-मांस का तन ,
भिन्न-भिन्न जगहों में , परिचय बदलता गया ॥

बहुत से हैं मेरे परिचय ,किसे क्या बताऊँ ,
बेहतर ..! आज मुझसे कोई मेरा परिचय ना पूछे ॥
क्योंकि
मैं इन्सान हूँ, और इन्सानियत है मेरा परिचय ... !!

गौरव पन्त
२३-मार्च-२०१३ 

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