Friday, March 3, 2017

अभिवक्ति की आजादी....या "TRP" बटोरने की चाह

गुरमेहर कौर की अभिवक्ति की आजादी की आंच में सभी अपनी-अपनी रोटी सेंकने में लगे हुए हैं। मैं किसी से भी पूरी तरह सहमत नहीं  हूँ इसलिए अपने विचार जरूर रखना चाहूंगा !! 


ना  हिन्दू ने ,ना  मुस्लिम ने , सिक्ख ने , ना ईसाई ने ,
मारा  है पिता को तेरे , इंसानियत के कसाई ने !!  

आतंकवाद नाम है इसका , तू चाहे तो यूद्ध समझ ले,
भारत माँ की रक्षा के हित, होता जो कुरुक्षेत्र समझ ले ॥ 

दुर्योधन के चक्रव्यूह में, फंसता जो अभिमन्यु समझ ले ,
कारगिल के उस रण को तू, धर्म -अधर्म का यूद्ध समझ ले ॥ 

पर ये कह देना भगवान कृष्ण ने, यूद्ध को रोका  ही था कब,
देश के दिल को लाहौर जोड़ती , सदा-ए -सरहद बस पहुंची थी कब? 

ये भूल नहीं की गुजरे कल में, भाईचारे के जज्बात बहुत हैं ,
हिन्दू-चीनी भाई-भाई , और जंग के घाव बहुत हैं ॥ 

गर बात शांति की होगी तो, हम शांति दूत बन जायेंगे,
पर भारत माँ के आँचल में, दुश्मन को ना  सह पायंगे ॥ 

तू समझ जरा इतिहासों को, और वीरों के बलिदानों को ,
मीडिया तो व्यापार समझ रही, तेरे भावुक विचारों को ॥ 


"अगर ये अभिव्यक्ति केवल "TRP" बटोरने  के लिए की गयी है तो...... तो ये पंक्तियाँ समर्पित हैं "


ये वक़्त नहीं अभिव्यक्ति करो, संघर्ष करो यह जीवन है ,
भौक्तिकता परिवारों के सुख, देश प्रेम हित अर्पण है ,
हाँ देश प्रेम हित अर्पण हैं ॥ 


गौरव पन्त 
३ मार्च २०१७