ये पहली दफा है जब अपनी शायरियों को संजो के रखने का प्रयास कर रहा हूँ । उम्मीद करता हूँ कि आप पसंद करेंगे..!
१ - दिल के बदले, दिल-ए-दर्द लेने की आदत सी हो गयी ,
जब से मिले हैं तुमसे , हमे मुहब्बत सी हो गयी ॥
ये कह रहा है मेरे , जवां दिल का बाँकपन ,
तेरे आने से जिंदगी मेरी , जन्नत सी हो गयी..
२- तकदीर को मेरा , क्यों साथ ना गंवारा ,
छीना वही साथी , जो हमको लगा प्यारा ॥
जब फूल थे,गुलशन थे,बहारें थी, साथ तुम थे,
होंठों पे जब हंसी थी,खुशियाँ थी, जान तुम थे।
आंखें बिछाये राहें, और अश्क कह रहे हैं,
क्यों सोच बैठे उनको, हर राह का सहारा ॥
ऐ यार मुहब्बत में,हमने ये खता की है ,
खुद दर्द सह लिए और खुशियाँ ही तुम्हें दी हैं।
बेवफाई के बदले भी, तुझको ये दुआ दी है,
इन्साफ ना करना खुदा,महबूब वो हमारा ॥
मैं हूँ जमीं, गगन तू,हूँ सहरा मैं चमन तू,
मैं हूँ चमकता तारा,सूरज की है किरण तू।
मिल सकते ना अब उनको,खुश रखना ऐ खुदा तू,
हस्ती है मेरी क्या, हूँ मैं गर्दिश में गिरा तारा ॥
३- मांगी जो खुदा से, वो दुआ हो तुम,
जिंदगी गर सफर है, तो तो रहनुमा हो तुम,
अश्क़ तेरा मुझमे , इसकदर बस चुका ,
जीने की अदा ही नहीं , आदत भी हो तुम !!
4- तेरी आँखों से पढ़ते हैं हम, आयतें मुहब्बत के ,
पनाहों में तेरी होते हैं , चर्चे मुहब्बत के,
याउम -ए -पैदाईश, मुबारक हो तुम्हें हमदम,
अजानों में भी सुनते हैं हम, सजदे मुहब्बत के!!
गौरव पन्त
२८-मार्च-२०१३ --
१ - दिल के बदले, दिल-ए-दर्द लेने की आदत सी हो गयी ,
जब से मिले हैं तुमसे , हमे मुहब्बत सी हो गयी ॥
ये कह रहा है मेरे , जवां दिल का बाँकपन ,
तेरे आने से जिंदगी मेरी , जन्नत सी हो गयी..
२- तकदीर को मेरा , क्यों साथ ना गंवारा ,
छीना वही साथी , जो हमको लगा प्यारा ॥
जब फूल थे,गुलशन थे,बहारें थी, साथ तुम थे,
होंठों पे जब हंसी थी,खुशियाँ थी, जान तुम थे।
आंखें बिछाये राहें, और अश्क कह रहे हैं,
क्यों सोच बैठे उनको, हर राह का सहारा ॥
ऐ यार मुहब्बत में,हमने ये खता की है ,
खुद दर्द सह लिए और खुशियाँ ही तुम्हें दी हैं।
बेवफाई के बदले भी, तुझको ये दुआ दी है,
इन्साफ ना करना खुदा,महबूब वो हमारा ॥
मैं हूँ जमीं, गगन तू,हूँ सहरा मैं चमन तू,
मैं हूँ चमकता तारा,सूरज की है किरण तू।
मिल सकते ना अब उनको,खुश रखना ऐ खुदा तू,
हस्ती है मेरी क्या, हूँ मैं गर्दिश में गिरा तारा ॥
३- मांगी जो खुदा से, वो दुआ हो तुम,
जिंदगी गर सफर है, तो तो रहनुमा हो तुम,
अश्क़ तेरा मुझमे , इसकदर बस चुका ,
जीने की अदा ही नहीं , आदत भी हो तुम !!
4- तेरी आँखों से पढ़ते हैं हम, आयतें मुहब्बत के ,
पनाहों में तेरी होते हैं , चर्चे मुहब्बत के,
याउम -ए -पैदाईश, मुबारक हो तुम्हें हमदम,
अजानों में भी सुनते हैं हम, सजदे मुहब्बत के!!
गौरव पन्त
२८-मार्च-२०१३ --
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